शूतपुत्र
कुछ सीखें महाभारत के कर्ण से
शूद्र कुल में बड़ा हुआ
जो था क्षत्रिय वर्ण से
महाक्रोधी दुर्वासा के वरदान का वो अंश था
जीता रहा अभावों में
पर पांडु उसका वंश था
गुरु द्रोण ने जब अपमानित किया
उसे शूत पुत्र कहकर
सारी विद्याएं सीख ली उसने
परशुराम के आश्रय में रहकर
धर्मराज के धर्म से बड़ा
कर्ण का दान धर्म था
धर्मराज का था वो सहोदर
स्वभाव से अति विनम्र था
दुनिया ने उसको शत्रु माना
पर वो किंचित नहीं भयभीत था
कृष्ण भी जिसका आदर करते
वो कर्ण इतना विनीत था
महाबली वो, वो महाधनुर्धर वो महादानी था
अर्जुन से उसकी तुलना क्या जो
अपने मद में अभिमानी था
शास्त्र विद्या में निपुण वो सूतपुत्र
धनुर्विद्या का स्वामी था
रह रहा था कौरवों में पर
कर्ण सदैव सुगामी था
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