लोकलाज़

 


लोकलाज़

नन्ही चिड़िया पंखों को खोलो

उड़ना सीखो अंबर को छू लो

है कौन सी जंजीर जो तुमको बांधे

है कौन किनारा जो समुद्र को साधे

यहां न जाना वहां न जाना

ये न करना वो ना करना

घुटघुट कर जीती रहना

चुपचाप सब सहती रहना

कोई छुए तो कुछ न कहना

इज्जत ही है बस तुम्हारा गहना

क्यों हमेशा तुमको चुप है रहना

गलत बात को कभी न सहना

हर बात पर तुमको टोंकने वाले

इन गिद्धों को भी तो दिखाना है

अपना रास्ता खुद ही बनाना है

लोकलाज से तुम मत डरना

मस्त मगन हो उड़ते रहना

मत रुकना किसी मनोरम वन में

न फंसना प्रेम की भटकन में

बस उड़ते रहना जीवन में

और विश्वास रखना अपने मन में

अंबर से भी ऊंचे जाना है

कुछ करके भी तो दिखाना है

मन में हमेशा उल्लास रखना

कुछ कर जाने की आस रखना

देखो शाम ढली नही है

मंजिल तुमको अभी मिली नही है

नन्ही चिड़िया पंखों को खोलो

उड़ना सीखो अंबर को छू लो


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